दुर्लभ वन औषधियों का संरक्षण अत्यावश्यक
दोस्तों आज आज २ अक्तूबर है और हमारे भारत के दो महापुरुषों का जन्म दिन है,हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी एवं जय जवान और जय किसान का नारा देने वाले सशक्त नेता लाल बहदुर शास्त्री जी का और आज ही मैंने ब्लॉग पे अपनी साईट शुरू की है,दोनों की सोच एक ही थी कि गावं और कृषि-कृषक की तरक्की से है देश की तरक्की हो सकती है,मैं एक कृषि उद्यानिकी वैज्ञानिक हूँ,सोचा की जब थोडा रिशर्च कार्य आदि से समय मिलेगा तो कुछ समय अपने ब्लॉग पर भी दूंगा तथा उद्यानिकी सम्बन्धी यदि कोई समस्या है तो उसका भी निराकरण करने का पुरजोर प्रयास करूँगा,आज देश में दुर्लभ वन औषधियों की कमी हो रही है,विलुप्त हो रही वन औषधियों को बचाना एक बड़ी चुनौती है,देश के सघन वनों में अभी भी वन औषधियों हर्रा, बहेरा,आंवला, निर्गुन्डी, बबूल,नीम,माजूफल, अकरकरा, पीपर, आदि बहुत सी मोजूद हैं, औद्योगीकरण एवं उत्खनन के कारन इन वन एवं औषधियों का विनाश होता जा रहा है, यदि हमारे में इनको बचाने के प्रति जागरूकता आती है तो हम अवश्य ही इस दुर्लभ वन औषधियों का संरक्षण कर पाएंगे,इसका एक उपाय इनकी खेती करना है.आज प्रारम्भ है इसलिए कुछ कम लिख पा रहा हूँ.आगे हार्टिकल्चर हेल्प का कार्यक्रम जारी रहेगा.
4 टिप्पणियाँ:
आपका ब्लाग जगत मे स्वागत है आपके अनुभवों से ब्लाग जगत सम्रिद्ध होगा,आप का प्रयास अच्छा है जिसने माटी की महत्ता को स्वीकार किया दुनिया मे उसका ही नाम स्थायी रहा है,
यही में सोचता हूँ,दुर्लभ वन औषधियों का संरक्षण,अत्यावश्यक,बलोग जगत में स्वागत है,इसी प्रकार ज्ञान का उजाला करते रहिये ।
blog jagat main apka swagat hai.
happy deepawali to u & all your near and dear.
Today I read your blog post regarding नतुरे, I like it very much. I would like your academic contribution for http://dudhwalive.com.
Can you write for this cause……..save our mother nature!
krishna
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